Sunday, May 20, 2007

मेरा परिचय ...


खुद के बारे में कुछ कहना, अपना परिचय देना कुछ कठिन काम सा लगता है। लगता है जैसे एक जी हुयी कहानी को फिर से कहना या उङते फिरते तितली से शब्दों को तस्वीर बन जाने की सजा देना।
वैसे सीधे साधे शब्दों में कहें, तो कुछ मुश्किल भी नहीं है। तो शुरु करते हैं,
मेरा परिचय ...


मेरा परिचय
शब्द ही हैं मेरे आईना मेरा;
ढूंढता िफरता हूं कबसे,
मैं खुद ही का पता!


िमटटी का तन ,
मस्ती का मन ,
छण भर जीवन ,
मेरा पिरचय ||